अनुलोम-विलोम के लाभ Profits of doing Anulom-Vilom

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अनुलोम-विलोम के लाभ  Profits of doing Anulom-Vilom

नाड़ियों में आई रूकावट को दूर करना बहुत ही जरुरी है | क्योकि इसका सीधा प्रभाव आपके मस्तिष्क और  विचारने पर पड़ता है | अनुलोम-विलोम एक ऐसा प्राणायाम है जिससे आप नाड़ियों का शोधन आसानी से कर सकते है | मस्तिष्क का ठीक रहना ही उत्तम है अन्यथा कई विकार आपको घेर सकते है | आपके सोचने की शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है | चलिए जानते है इसे करने की विधि | 


अनुलोम-विलोम के लाभ  Profits of doing Anulom-Vilom

अनुलोम विलोम कैसे किया जाये ?

अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा और कंधों को ढीला छोडकर आराम से बैठे। 
अपने बाएँ हाथ को बाएँ घुटने पर रखें, हथेलि आकाश की ओर खुली मुद्रा में। 
तर्जनी और मध्यमा को दोनों भौहों के बीच में, अनामिका और छोटी उंगली को नाक के बाएँ नासीका पर, और अंगूठे को दाहिनी नासिका पर रखे। बाएँ नासिका को खोलने और बंद करने के लिए हम अनामिका और छोटी उंगलीका और दाएँ नासिका के लिए अंगूठे का उपयोग करेगें।
अपने अंगूठे को दाएँ नासिका पर धीरे से दबा कर बाएँ नासिका से साँस बाहर निकाले।
अब बाएँ नासिका से साँस लिजिए और उसके बाद बाएँ नासिका को अनामिका और छोटी उंगली के साथ धीरे से दबाएँ। दाहिने अंगूठे को दाएँ नासिका से खोलकर दाएँ नासिका से साँस बहार निकाले।
दाएँ नासिका से साँस लिजिए और बाईं ओर से साँस छोड़िए । अब आपने अनुलोम विलोम प्राणायाम का एक दौर पूरा कर लिया है। एक के बाद एक नासिका से साँस लेना और छोडना जारी रखें।
इस तरह बारी-बारी से दोनों नासिका के माध्यम से साँस लेते हुए 9 राउन्ड पूरा करे। हर साँस छोड़ने के बाद याद रखें कि उसी नासिका से साँस भरे जिस नासिका से साँस छोड़ी हो। अपनी आँखें पूर्णतः बंद रखे और किसी भी दबाव या प्रयास के बिना लंबी, गहरी और आरामदायक साँस लेना जारी रखें।


अनुलोम-विलोम करने से लाभ - 

मन को शांत और केंद्रित करने के लिए यह एक बहुत अच्छी क्रिया है।
भूतकाल के लिए पछतावा करना और भविष्य के बारे में चिंतित होना यह हमारे मन की एक प्रवृत्ति है। नाड़ी शोधन प्राणायाम मन को वर्तमान क्षण में वापस लाने में मदद करता है।
श्वसन प्रणाली व रक्त-प्रवाह तंत्र से सम्बंधित समस्याओं से मुक्ति देता है।
मन और शरीर में संचित तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करके आराम देने में मदद करता है।
मस्तिष्क के बाएँ और दाएँ को एक समान करने में मदद करता है, जो हमारे व्यक्तित्व के तार्किक और भावनात्मक पहलुओं से संबंधी बनाता है।
नाड़ियों की शुद्धि करता है और उनको स्थिर करता है, जिससे हमारे शरीर में प्राण ऊर्जा का प्रवाह हो।
शरीर का तापमान बनाए रखता है।


इस प्रकार आप समझ चुके होंगे की एक अनुलोम-विलोम करने से आपको कितना फायदा हो सकता है | एक बात में आपसे कहना चाहूंगा की जीवन में कभी भी दिमाग पर ज्यादा लोड ना डाले | क्योंकि यही सोचने विचारने का केंद्र है और इसकी सुरक्षा आपका दायित्व है | 

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